शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

हम मिलकर पूरा करेंगे कलाम का सपना : नरेंद्र मोदी

नरेंद्र मोदी:एपीजे अब्दुल कलामके रूप मेंभारत ने एक हीरा खो दिया है। लेकिन उस हीरेकी चमक और रोशनी हमें उस मंजिल तक पहुंचाएगी,जो उस स्वप्नद्रष्टा ने देखी थी।    <script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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   उन्होंने ख्वाब देखा था कि भारत एक नालेज सुपरपावर (ज्ञान शक्तिपुंज) के रूप में पहली कतार के देशों में शुमार हो।हम उस लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे। वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से चलकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे कलाम सच्चे मायनों में जनता के राष्ट्रपति थे और यही कारण था कि उन्हें जनतासे अथाह प्यार और सम्मान मिला और शायद उनके लिए सफलता का अर्थभी यही था।उनकी हर कथनी-करनी में इसी की झलक मिली। गरीबीसे लड़ने का उनका हथियार था ज्ञान और इसेफैलाने में उन्होंने कभी कोई कसर नहीं छोड़ा। रक्षा कार्यक्रम के वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने क्षितिज को पार किया तो एक सच्चे संत के रूप में उन्होंने बताया कि सद्भाव का आकाश सबसे बड़ा है।यथार्थ पर टिका था उनकाआदर्शवादहर बड़ी शख्सियत का जीवन एक प्रिज्म की तरहहोता है। रोशनी उससे होकर गुजरती है तो हम पर सतरंगी किरणों की वर्षा होती हैै। कलाम का आदर्शवाद यथार्थ के आधार पर टिका था। सही मायनों में हर वंचित बच्चा यथार्थवादी होताहै। गरीबी से भ्रम पैदानहीं होता है।गरीबी एक ऐसी डरावनी विरासत है जिसके बोझ तले बच्चा सपना भी नहींदेख सकता है। वह उससे पहले ही परास्त हो जाताहै। लेकिन कलाम जी को परिस्थितियों से हार मानना स्वीकार नहीं था। उनका बचपन भी कठिन था। अपनी पढ़ाई के लिए उन्होंने अखबार भी बेचा। आज सभी अखबार उनकी याद और श्रद्धांजलि से पटे पड़े हैैं।उन्होंने कभी खम ठोककर यह नहीं कहा कि उनका जीवन दूसरों के लिए रोलमाडल है, लेकिन यह सच्चाई है कि उनसे प्रेरणा लेकर गरीबी और अंधकार से भ्रमित और ग्रसित किसी असहाय बच्चे को बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। कलाम मेरे मार्गदर्शक हैैं।  <script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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उसी तरह जैसे हर बच्चे के।चापलूसी कभी रास नहीं आईउनका आचरण, समर्पण और उनकी प्रेरणादायी सोच उनके पूरे जीवन से प्रस्फुटित होती है। अहं उन पर कभी हावी नहीं हो सका और चापलूसीकभी रास नहीं आई। हाई प्रोफाइल मंत्री हों या उच्च सामाजिक वर्ग के श्रोता या फिर युवा छात्र, उन पर इसका कभी कोई फर्क नहीं दिखा।वह हर किसी के लिए एक समान थे। उनके व्यक्तित्व में अदभुत बात थी- वह था एक छोटे बच्चे की ईमानदारी, युवा होते एक बच्चे का उत्साह और एक वयस्क की परिपक्वता का मिश्रण। यह हर क्षण उनके व्यक्तित्व में झलकता था। संसार से उन्होंने जो कुछ लिया वह पूरा समाज पर लुटा दिया। गहरी आस्था रखने वाले कलाम हमारी सभ्यता के तीनों गुण - दम(आत्म नियंत्रण), दान और दया से भरपूर थे।  <script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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व्यक्तित्व में थी प्रयत्नशीलता की आगलेकिन इस व्यक्तित्व में प्रयत्नशीलता की आग थी। राष्ट्र के लिए उनकी दृष्टि का निर्माण स्वतंत्रता, विकास और शक्ति के तीन स्तंभों पर हुआ था। हमारे इतिहास में स्वतंत्रता का मतलब राजनीतिक स्वतंत्रता से है। परंतु इसमें वैचारिक व बौद्धिक स्वतंत्रता भी शामिल है। वह भारत को विकासशील देश से विकसित राष्ट्र के रूप में परिवर्तित होते और समवेत आर्थिक विकास के जरिये गरीबी को समाप्त करना चाहते थे।

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